वे कहते हैं की तुम अच्छी हो
बहुत अच्छी हो
तुम्हारे होने से जिंदगी जिंदगी लगती है
वे कहते है
कि तुमने मुझे जीने की राह दिखाई
वे बहुत कुछ अच्छा , मीठा , प्यारा , सुनहरा, दीवानगी से भरा
कहते है , कहते रहते है
लेकिन उनकी ऑंखें कुछ नही कहती!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ऑंखें अबोली भाषा बोलती है
ऑंखें सच कहती है
वे कहते हैं मेरी ऑंखें पढो
तुम्हे सच दिखेगा
मुझे सच दीखता है
पर ऐसा सच जो उन्हें झूठा बनाता है
3 comments:
सुभान अल्लाह.............
हम पे भी गुजरी है, कुछ ऐसी ही,
ख्यालों से परे जा के देखा,
तो दुनिया ही कुछ और थी...........
क्या कभी ये नही हो सकता कि किसी कि आंखों को हम ग़लत पढ़ते चले आयें............कई दिन, महीनो, सालों या फिर सारी उमर..........
Thanks for comments. Mere blog par Swagat hai.
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