Friday, July 3, 2009

सच

वे कहते हैं की तुम अच्छी हो

बहुत अच्छी हो

तुम्हारे होने से जिंदगी जिंदगी लगती है

वे कहते है

कि तुमने मुझे जीने की राह दिखाई

वे बहुत कुछ अच्छा , मीठा , प्यारा , सुनहरा, दीवानगी से भरा

कहते है , कहते रहते है

लेकिन उनकी ऑंखें कुछ नही कहती!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

ऑंखें अबोली भाषा बोलती है

ऑंखें सच कहती है

वे कहते हैं मेरी ऑंखें पढो

तुम्हे सच दिखेगा

मुझे सच दीखता है

पर ऐसा सच जो उन्हें झूठा बनाता है

3 comments:

अंतस said...

सुभान अल्लाह.............

अंतस said...

हम पे भी गुजरी है, कुछ ऐसी ही,
ख्यालों से परे जा के देखा,
तो दुनिया ही कुछ और थी...........


क्या कभी ये नही हो सकता कि किसी कि आंखों को हम ग़लत पढ़ते चले आयें............कई दिन, महीनो, सालों या फिर सारी उमर..........

Aparna Bajpai said...

Thanks for comments. Mere blog par Swagat hai.