Tuesday, September 1, 2009

दोस्त और दुश्मन

दोस्त और दुश्मन में अन्तर मत कर
क्या पता आज का दोस्त कल दुश्मन बन जाय
और दुश्मन दोस्ती का हाथ बढाये
बस तैयार रहो आज और कल से निपटने का
क्योंकि यह सब समय का खेळ है
और हम समय के हाथ की kathputaliyan

6 comments:

Mishra Pankaj said...

bahoot khoob .

u r most welcome at my blog

Betuke Khyal said...

ek dhoondhli si lakeer hai doston aur dushmanon ke darmyan

Mishra Pankaj said...

अच्छी रचना ,
आप हमारे ब्लॉग पर अपना चर्चा देख सकते है

Arshia Ali said...

Dost ki sahi pahchaan bataayee.
( Treasurer-S. T. )

अनिल कान्त said...

वाकई सही कहा आपने

हरकीरत ' हीर' said...

हम समय के हाथ की kathputaliyan hi to hain ....sahi kaha aapne .....!!

sunder rachna ....!!

aur haan Shukriya janm din ki Bdhai ke liye ....!!

ye word verification hta lein ...!!