Aparna_kutubnagar
Monday, November 30, 2009
samwedanheen
एक औरत जब खड़ी होती है सरेबाजार नंगी
तो लोगों के मन में संवेदना नही ! वासना जागती है
भले ही वह हो विक्षिप्त ,
उसका तन , मन या दिमाग न देता हो उसका साथ
या गरीबी के कारन मुहैया न हो उसे पूरे kapade
1 comment:
Dev
said...
saacchi se awget kraati aapki ye rachna ....
February 3, 2010 at 4:26 AM
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saacchi se awget kraati aapki ye rachna ....
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