Wednesday, March 6, 2013

keemat

कितने कितने अक्षर लिखकर कितने कितने शब्द बनाये
ख्वाबों की दुनिया में जाकर  कितने सारे  ख्वाब सजाये
एक अकेला ख्वाब था ऐसा जिसने कीमत बहुत लगाई
इस कीमत के मोल भाव ने दुनिया मुझको खूब दिखाई
आज अकेला ख्वाब है अपना , बाकि सब कुछ हुआ पराया
लेकिन कोई ग़म न मुझको ....
एक ख्वाब है एक ही जीवन
एक ज़मी पर बना बसेरा
एक आसमा , एक आत्मा
फिर क्या चिंता  

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

ठीक कहा है ... जीवन में एक भी ख्वाब जिन्दा रहे तो जीने का कारण होता है ... सुन्दर पंक्तियाँ ...