Tuesday, February 2, 2010

हिंदुस्तान हिन्दी में क्षमा शर्मा के लेख पर

प्रिय क्षमा दी
आज हिंदुस्तान पेपर में आपका लेख प्रदुषण और जेनेवा कि प्रभातफेरी पढ़ा . सच में लेख दिल को छू gaya . आपने जिन बिन्दुओं कि और पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है वह वास्तव में बहुत बड़ी समस्याएं है. हम विकास के नाम पर जिस अंधे कुएं में छलांग लगा रहे है वह हमें विनाश के अलावा कंही और नहीं ले जाता. प्रदुषण के कारन अस्थमा जैसी गंभीर बिमारियों से जूझते हुए बच्चे इस देश का भविष्य है. जितनी बड़ी गाड़ी उतना बड़ा आदमी जैसे जुमले हमारे यंहा आदमी कि पहचान बताते है . अब आदमी का बड़प्पन उसके काम , उसके विचारों से नहीं बल्कि उसके द्वारा फैलाये जा रहे प्रदुषण से आंकी जाती है .
बड़ी गाड़ी - बड़ा आदमी
ढेर साडी फक्ट्रियां - बड़ा आदमी
लाल बत्ती के पीछे दौड़ती सैकड़ों गाड़ियाँ - बहुत बड़ा आदमी

आब बताइए इस देश का आम आदमी कैसे नहीं बड़ा बनने के बारे में सोचेगा . और अगर वह सोचता है तो क्या बुरा करता है . आखिर बड़े होने का हक सबको है .

प्रदुषण , ग्लोबल वार्मिंग जैसे विषय बड़े आदमियों के दिल बहलाव का हिस्सा है . इसी बहाने कोपेन हेगेन जैसे बड़े सम्मलेन होते है , बड़े काम होते है पर देश और यह दुनिया एक इंच भी आगे नहीं बढती.