लक्खू की माँ कहती है , बेटा परदेश मत जा
तेरे पैदा होने के पहले गए थे तेरे बापू
आज तक नही लौटे ,
मगरे की बहन गई थी ब्याह कर शहर
कहते है बैठा दिया उसके पति ने उसको कोठे पर
मन्नू का भाई गया था एक बार
लौटा लेकिन वैसा नही जैसा गया था
शरीर , मन , आत्मा सब कुछ बेच आया
और ले आया ऐसा रोग जिसका कोई इलाज नही ,
बेटा ! यर शहर छीन लेते है हमसे हमारी पहचान
हमारी आवाज , हमारी इज्जत , हमारा विश्वास
और बदले में देते है हमें भूख की मज़बूरी में
हमारी आधे से भी कम कीमत ,
खुला आसमान , बूटो की मार , झोली भर भर गालियाँ और .....................
वह सब कुछ जो हम किसी को देने की कल्पना भी नही कर सकते...
Wednesday, October 28, 2009
Thursday, October 15, 2009
छोटा सा अनुरोध
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कंही रह न जाए ......................
इस दीप पर्व पर आप सब से अनुरोध है कि घर में उजाला करने के साथ साथ अपने दिलों को भी रोशन करें और आने आस पास बिखरे दुखों को मुस्कानों में बदलने कि कोशिश जरूर करे ।
अँधेरा धरा पर कंही रह न जाए ......................
इस दीप पर्व पर आप सब से अनुरोध है कि घर में उजाला करने के साथ साथ अपने दिलों को भी रोशन करें और आने आस पास बिखरे दुखों को मुस्कानों में बदलने कि कोशिश जरूर करे ।
जब अपने ही दूर हो जायें तो क्या होली क्या दिवाली
याद उन्हें भी आयी मेरी , मेरी भी आँखे भर आयी ,
याद आ रही है वो जगमग दीपो भरी रंगोली मेरी
बच्चो के संग खेलखेल में घर चौबारे खूब सजाये
दादा के संग हर चौखट पर दिए रखाए
अब भी आती है दिवाली
लेकिन नही खुशी है वैसी
सब कुछ करती हू वैसा ही
फिर भी नही खुशी होती है
हर पग पर यादों की टोली
अपनों की बाते ले आए
आब त्योहारों के रंग फीके है
ये क्या हुआ समय ने हम से
क्यो अपनों को दूर किया है
काश समय ही फिर कुछ करके
अपनों से हमको मिलवाए
और त्योहारों को ले आरे
फिर हर दिन होली , रात दिवाली
खुशियाँ होंगी रंग रंगीली
यही है आशा , यही उम्मीद
समय एक बार फिर आएगा
हमें हमारे दिन lautayega .
याद उन्हें भी आयी मेरी , मेरी भी आँखे भर आयी ,
याद आ रही है वो जगमग दीपो भरी रंगोली मेरी
बच्चो के संग खेलखेल में घर चौबारे खूब सजाये
दादा के संग हर चौखट पर दिए रखाए
अब भी आती है दिवाली
लेकिन नही खुशी है वैसी
सब कुछ करती हू वैसा ही
फिर भी नही खुशी होती है
हर पग पर यादों की टोली
अपनों की बाते ले आए
आब त्योहारों के रंग फीके है
ये क्या हुआ समय ने हम से
क्यो अपनों को दूर किया है
काश समय ही फिर कुछ करके
अपनों से हमको मिलवाए
और त्योहारों को ले आरे
फिर हर दिन होली , रात दिवाली
खुशियाँ होंगी रंग रंगीली
यही है आशा , यही उम्मीद
समय एक बार फिर आएगा
हमें हमारे दिन lautayega .
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