वो कहते हैं न की झुककर तो कविता भी नहीं उठानी चाहिए. लेकिन यह देश ऐसा है दोस्तों की हर इमानदार , मेहनतकश को भ्रष्ट , बेईमान साहब के सामने झुकना पड़ता है भले ही वह कितना भी सही क्यों न हो .
पाठकों आप सब से यह सवाल है - स्वाभिमान जरुरी है या रोटी.
कृपया जवाब जरुर दीजिये .