Monday, January 11, 2010

नेताओ का पर्सनालिटी टेस्ट

क्या बताएं , कल गालियों की बात की , और हमारे एक माननीय नेता जी ने दूसरे माननीय नेता जी को सरे आम गाली दी और अपनी फजीहत कराइ। तो जनाब हमारे नेताओ को कौन समझाए कि उनका vयवहार जरुर शोभनीय होना चाहिए ।
हमारे नेता सदन में गाली देते है , कुर्सियां फेकते है , सिर फोड़ते है , हाथ पाई करते है। और तो और राष्ट्र भाषा के प्रयोग पर गाल लाल कर देते है । ये वही लोग हैं जिन्हें हम अपना प्रतिनिधि बनाकर सदन में भेजते हैं।
सवाल यह है कि गलती किसकी है ? हमारी या उन नेताओं कि जो कभी कभी अपना असली चेहरा दिखा देते है ।
अब क्या हम ये गलती दोहराते रहेंगे , या आँख बंद करके बैठे रहेंगे ।
क्या नेताओं को चुनाव नोमिनेसन के पहले पर्सोनालिटी टेस्ट होना चाहिए ?????????

आप क्या सोचते है , जरुर बताइए ...

Sunday, January 10, 2010

रूह का रिश्ता

किसी की लाइने है " जिस्म से रूह का रिश्ता भी अजब होता है , उम्र भर साथ रहे , फिर भी तार्रुफ न हुआ"।

कुछ ऐसा ही होता है उन पुरुषों का जो कभी किचन के भीतर nahi जाते। कभी एक कप चाय बनानी पड़े तो हाथ पाँव फूळ जाते हैं। लेकिन उन पुरुषो को धन्यवाद् जिन्होंने नए साल में जिस्म से रूह का तार्रुफ karane का संकल्प लिया हो। और जिन्होंने संकल्प नही लिया है वे ले सकते है। अभी देर नही हुई..........

नए साल पर शुभकामनायें देना तो पुरानी बात है , बात नई यह है की कुछ लोगों ने नए साल पर गालियाँ भी दी। त्यौहार था गणेश चतुर्थी का । कुछ समाजों में मान्यता है , की यदि किसी का भला करना है , तो उसे बुरी गालियाँ दो। जैसे हे भगवान वह बीमार हो जाए , तो उसकी उम्र लम्बी होगी ।इश्वर करे हमारे देश में ऐसी मान्यताएं बनी रहे , ताकि कुछ नया होता रहे , और कुछ नया होने की संभावनाएं बनी रहे.