Sunday, January 10, 2010

रूह का रिश्ता

किसी की लाइने है " जिस्म से रूह का रिश्ता भी अजब होता है , उम्र भर साथ रहे , फिर भी तार्रुफ न हुआ"।

कुछ ऐसा ही होता है उन पुरुषों का जो कभी किचन के भीतर nahi जाते। कभी एक कप चाय बनानी पड़े तो हाथ पाँव फूळ जाते हैं। लेकिन उन पुरुषो को धन्यवाद् जिन्होंने नए साल में जिस्म से रूह का तार्रुफ karane का संकल्प लिया हो। और जिन्होंने संकल्प नही लिया है वे ले सकते है। अभी देर नही हुई..........

नए साल पर शुभकामनायें देना तो पुरानी बात है , बात नई यह है की कुछ लोगों ने नए साल पर गालियाँ भी दी। त्यौहार था गणेश चतुर्थी का । कुछ समाजों में मान्यता है , की यदि किसी का भला करना है , तो उसे बुरी गालियाँ दो। जैसे हे भगवान वह बीमार हो जाए , तो उसकी उम्र लम्बी होगी ।इश्वर करे हमारे देश में ऐसी मान्यताएं बनी रहे , ताकि कुछ नया होता रहे , और कुछ नया होने की संभावनाएं बनी रहे.

3 comments:

अजय कुमार said...

दिलचस्प लेख , और हां मैं किचन में जाता हूं

दिगम्बर नासवा said...

भाई हम तो न सिर्फ़ चाय बल्कि खाना भी बनाते हैं और अपनी पत्नी को भी खिलाते हैं ............

Ravi Rajbhar said...

Je Han,
Sahi kaha aapne.