Wednesday, July 19, 2017

तसल्ली


गिरना


Tuesday, July 11, 2017

एहसास

उदास रात के पैरों में तेरी रुनझुन थी,
अक्स उभरा कि सीपियों ने उबासी ली .
हांथ रखा तु छू गये रिश्ते ऐसे ,
नदी जैसे सदियों से इक समन्दर थी.

मै बेचारी


एकांत


 ओस का कम्बल कितना घना  था
 वो गुलाबी  रात  की बातें