Aparna_kutubnagar
Tuesday, July 11, 2017
एहसास
उदास रात के पैरों में तेरी रुनझुन थी,
अक्स उभरा कि सीपियों ने उबासी ली .
हांथ रखा तु छू गये रिश्ते ऐसे ,
नदी जैसे सदियों से इक समन्दर थी.
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