Friday, December 3, 2010

सिनाख्त

झाड़ी में पड़ी छिन्न- भिन्न लाश
की पहचान करना मुश्किल था.
कौन था , किस धर्म का था
किस गाँव या किस देश का था ;
हाँ उसकी जेब से मिले सूखे सुर्ख गुलाब से सिनाख्त हो सकी
कि वह एक जिंदादिल इन्सान था
तमाम बंदिशों और परम्पराओं के बावजूद...............
वह प्रेम में था ...................................................

गुनाह किसका

वे जो कल भूखे थे आज चोर हुए
कल कातिल  होंगे
और परसों.....................................
उन्हें फांसी की सजा होगी
लेकिन गुनाह किसका है?
आदमी का, भूख का या उस काले बाजार का;
जंहा अनाज ठुंसा है  , सड़ रहा है
 देश के नेता राजनीति कर रहे हैं
और न्यायालय आँखों पर पट्टी बांध
बेगुनाह को फांसी की सजा सुनाएगा.