Tuesday, September 1, 2009

Gulab

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प्रिय क्या तुम भेज सकते हो एक गुलाब
और वादा कर सकते हो मुझसे
इसके कभी भी न मुरझाने का

तुमने कुछ लाल गुलाब भेजे थे
मेरी किताबो में अभी भी जिन्दा है उनकी पंखुडियां
और हाँ........... उनकी खुशबू bhi
पर तुम्हारे संदेश kyon मुरझा गए


कागज की कश्तियों से समंदर पर नही किया जाता
झूठे ख्वाबों से गुलशन आबाद नही किया जाता
प्यार तो एक धर्म है , पूजा है , विश्वास है
सिर्फ गुलाबों से इस पर एतबार नही किया जाता

1 comment:

Gaurav said...

बेहतरीन...........